Thursday, November 14, 2019

छिन गया बचपन

आमतौर पर बचपन जिंदगी का स्वतंत्र हिस्सा होता है, जहाँ ना तो किसी बात की चिंता होती है और ना ही किसी बात का गम। बचपन माता-पिता और समाज के प्यार का बेजोड़ संगम होता है, जो हमारे बचपन को बेपनाह प्यार और खुशियों से भर देता है। लेकिन इन नन्हे मुन्हे बच्चों का बचपन कहीं खत्म सा हो गया है। इन्हें नही पता कि प्यार क्या हैं, खुशियाँ क्या है, आज़ादी क्या हैं, स्कूल क्या हैं, छुट्टी क्या है, शिक्षा क्या है। ये नही पीते दूध और ना ही कुछ अच्छा खाते हैं। इन्हें सिर्फ सुखी रोटी का पता है। छिन गया बचपन इन फूल जैसे प्यारे बच्चों का।

बाल मजदूरी हटाओ,
बच्चों का बचपन बचाओ।

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