1962 में अपनी पहली फिल्म से शुरुआत करने वाली भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री करीब दो हजार करोड़ रुपए की फिल्म इंडस्ट्री के मुकाम तक पहुंच चुकी है और इस मुकाम तक पहुंचे के लिए भोजपुरी सिनेमा को बेहद जददोजहद भी करनी पड़ी है. 1962 की पहली भोजपुरी फिल्म 'गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो' ने जबरदस्त सफलता का ऐसा मुकाम हासिल किया कि एक के बाद एक भोजपुरी फिल्मे आने लगी...साथ ही सुपरहिट भी होनी लगी. भोजपुरी सिनेमा को करीब 58 साल का हो चुके है, और इन 58 साल में सबसे सफल और बेहतरीन भोजपुरी फिल्में बनी जिसने कामयाबी के नए रिकार्ड बनाए.
मसलन दिलीप कुमार की 'गंगा-जमुना', जिसकी भाषा मिश्रित भोजपुरी रखी गई थी. सिंगर शैलेंद्र ने इस फिल्म में 'नैन लड़ जहिए तो मनवा मा कसक' रचकर भोजपुरी गीत गा कर इस गाने को कश्मीर से कन्याकुमारी तक पहुंचा दिया. 'गंगा-जमुना' के कई साल बाद सचिन साधना सिंह की फिल्म 'नदिया के पार' की रेकॉर्डतोड़ कामयाबी ने भोजपुरी सिनेमा में चार चांद लगा दिए. इस फिल्म के 'कौन दिसा में लेके चला रे बटोहिया', 'जोगीजी धीरे-धीरे', आज भी प्रसिद्ध हैं।
किसी दौर में सुजीत कुमार, पद्मा खन्ना, राकेश पांडे, नजीर हुसैन जैसे स्टार्स भोजपुरी फिल्मों की शान थे यहां तक की सुजीत कुमार को तो भोजपुरी का राजेश खन्ना भी माना जाता था.
उस दौर में ज्यादातर फिल्मकार लटके-झटकों वाली फिल्में बनाई जाती थे, ताकि इनकी कमाई अच्छी हो सके और इसी कमाई से स्टार्स हिन्दी फिल्मे बना सके गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो' जैसी सलीकेदार फिल्म बनाने वाले कुंदन कुमार ने भी यही किया. भोजपुरी सिनेमा को रचनात्मक और कलात्मक ऊंचाई देने के बदले उन्होंने बाद में 'औलाद', 'अनोखी अदा', 'दुनिया का मेला', जैसी कई मसालेदार हिन्दी फिल्में बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया
भोजपुरी फिल्में ज्यादात्तर बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में खूब चलती हैं. यही वजह है कि अब कई बड़े बॉलीवुड स्टार भी भोजपुरी फिल्में करने लगे हैं.
No comments:
Post a Comment